पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली कथित तौर पर प्रदर्शनकारी जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ शामिल होंगे और मृतक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करेंगे, जिसकी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित तौर पर बलात्कार और हत्या कर दी गई थी।
पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष के अपनी पत्नी डोना गांगुली के साथ कोलकाता में प्रदर्शनकारियों में शामिल होने की उम्मीद है।
सौरव गांगुली ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया है, क्योंकि उन्होंने पीड़िता के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर को काले रंग में बदल दिया है। सोशल मीडिया पर हज़ारों यूज़र्स ने अपराध पर दुख जताते हुए ऐसा ही किया है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान को इस क्रूर अपराध को “एक बार की” घटना बताने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसके लिए उन्हें स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा।
सौरव गांगुली ने कहा, “मुझे नहीं पता कि पिछले रविवार को मैंने जो कहा, उसका क्या मतलब निकाला गया या उसकी व्याख्या कैसे की गई। मैंने पहले भी कहा है कि (अपराध) यह एक भयानक बात है। अब, सीबीआई (और) पुलिस मामले की जांच कर रही है। जो कुछ हुआ है, वह बहुत शर्मनाक है।”
उन्होंने आशा व्यक्त की कि जांच एजेंसियों द्वारा अपराधी का पता लगाने के बाद उसे कठोरतम सजा दी जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा अपराध करने का साहस न कर सके।
गांगुली ने कहा था कि पश्चिम बंगाल या पूरे देश का आकलन किसी एक घटना के आधार पर नहीं किया जा सकता।
उन्होंने ये टिप्पणियां विश्व-बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कीं।
गांगुली ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हर चीज का आंकलन किसी एक घटना के आधार पर किया जाना चाहिए। ऐसा सोचने की कोई गुंजाइश नहीं है कि हर चीज या हर कोई इस घटना के लिए सुरक्षित नहीं है। ऐसी दुर्घटनाएं पूरी दुनिया में होती हैं। यह सोचना गलत है कि लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में महिलाएं सुरक्षित हैं। हम जहां रहते हैं, वह सबसे अच्छी जगह है। किसी को एक घटना के आधार पर आंकलन नहीं करना चाहिए।”
मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एफआईआर दर्ज करने में देरी जैसे कई मुद्दों पर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया पर कड़ी टिप्पणियां कीं।
अदालत ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के लिए सुरक्षा उपायों की सिफारिश करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन भी किया। साथ ही सीबीआई से कल मामले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
इस मामले को उठाने का कारण बताते हुए पीठ ने कहा कि यह अपराध ‘अंतिम तिनका’ था और राष्ट्र चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा कानून लाने के लिए एक और बलात्कार की घटना का इंतजार नहीं कर सकता।