भुवनेश्वर, ओडिशा विधानसभा में शनिवार को विपक्षी कांग्रेस और भाजपा सदस्यों ने तकनीकी संस्थानों, एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश में एसटी, एससी और ओबीसी उम्मीदवारों को उचित आरक्षण न दिए जाने के आरोप को लेकर शोरगुल किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
यह मुद्दा कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने शून्यकाल के दौरान उठाया और आरोप लगाया कि एसटी, एससी और ओबीसी छात्र कई सीटें खो रहे हैं, क्योंकि प्रशासन ने उन्हें “उचित कोटा” देने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की 94 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले एसटी, एससी और ओबीसी को संविधान द्वारा प्रदत्त उचित आरक्षण नहीं मिल पाया है।
आंदोलनकारी कांग्रेस सदस्यों ने राज्य में जाति जनगणना की भी मांग की, जिससे प्रशासन को विभिन्न श्रेणियों के लिए आनुपातिक आरक्षण का प्रावधान करने में मदद मिलेगी।
कदम ने कहा, “हालांकि राज्य में एसटी और एससी आबादी का अनुपात 38.75 प्रतिशत है, लेकिन उन्हें प्रवेश में केवल 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। इसी तरह, ओबीसी, जो राज्य की आबादी का 50 प्रतिशत है, को कोई आरक्षण नहीं मिल सका।”
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि हालांकि ओबीसी को एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण पाने का अधिकार है, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिलता है।
हालांकि, कदम ने आरोप लगाया कि सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रखा है, जो आबादी का केवल 6 प्रतिशत है।
उन्होंने दावा किया कि एसटी और एससी वर्ग को अनुचित कोटा के कारण लगभग 300 सीटें गंवानी पड़ती हैं, जबकि ओबीसी को लगभग 376 सीटें गंवानी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि ओबीसी को राज्य में 27 प्रतिशत कोटा मिलना चाहिए।
कदम ने कहा, ‘‘इसलिए 29 अगस्त से शुरू होने वाली प्रवेश प्रक्रिया को रद्द किया जाना चाहिए और एसटी, एससी और ओबीसी श्रेणी के छात्रों के लिए उचित आरक्षण के बाद नई अधिसूचना जारी की जानी चाहिए।’’
बीजद सदस्य अरुण कुमार साहू ने भी चिंता व्यक्त की और मांग की कि प्रवेश के दौरान ओबीसी छात्रों को कम से कम 11.25 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए, जैसा कि उन्हें भर्तियों के दौरान मिलता है।
हालांकि, भाजपा सदस्य टंकधर त्रिपाठी ने निहित राजनीतिक स्वार्थ के चलते एसटी, एससी और ओबीसी के मुद्दे उठाने के लिए बीजद और कांग्रेस की आलोचना की।
त्रिपाठी ने पूछा, “ओडिशा में अपने 24 साल के शासन के दौरान बीजद सरकार ने इन श्रेणियों के लिए क्या किया?”
अध्यक्ष से निर्णय की मांग करते हुए विपक्षी सदस्यों ने सदन में हंगामा किया और भाजपा विरोधी नारे लगाए।
जब अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी की आंदोलनकारी सदस्यों से अपील का कोई नतीजा नहीं निकला तो उन्होंने कार्यवाही दो चरणों में शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
जब सदन की कार्यवाही शाम चार बजे पुनः शुरू हुई और निर्माण एवं ग्रामीण विकास विभागों की मांगों पर बहस शुरू हुई तो आंदोलनकारी कांग्रेस सदस्य सदन से बाहर चले गए और विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना देने लगे।
उन्होंने विभिन्न श्रेणियों के लिए आनुपातिक कोटा और ओडिशा में जाति जनगणना की मांग की।
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