शिवरात्रि व्रत हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय व्रतों में से एक है, और यह भगवान शिव को समर्पित है। शिवरात्रि व्रत के चार अलग-अलग प्रकार हैं: नित्य शिवरात्रि, मासिक शिवरात्रि, माघ शिवरात्रि और महा शिवरात्रि। इनमें से, मासिक शिवरात्रि पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने की चतुर्दशी या चौदहवें दिन मनाई जाती है। यह त्यौहार गहरा धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, जिसमें शिव पुरुष (चेतना) का प्रतिनिधित्व करते हैं और पार्वती प्रकृति (प्रकृति) का प्रतीक हैं।

मासिक शिवरात्रि मुख्य रूप से एक हिंदू त्योहार है, जो भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि मनाने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है, जिसमें बेहतर स्वास्थ्य और भविष्य के प्रयासों में सफलता शामिल है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन प्रार्थना और तपस्या के माध्यम से सबसे कठिन कार्य भी पूरे किए जा सकते हैं। अधिक जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें।

मासिक शिवरात्रि 2024 तिथि और समय

इस वर्ष, मासिक शिवरात्रि का महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार रविवार, 1 सितंबर को मनाया जाएगा। इस अवसर के लिए शुभ समय इस प्रकार हैं:

चतुर्दशी तिथि आरंभ: 1 सितंबर को सुबह 03:41 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 2 सितंबर को सुबह 05:22 बजे

शिवरात्रि पारण का समय: 2 सितंबर को सुबह 06:13 बजे

मासिक शिवरात्रि 2024 महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग शिवरात्रि व्रत का पालन करते हैं, उन्हें मानव स्वभाव को प्रभावित करने वाली दो प्राकृतिक शक्तियों: 'तमस' और 'रजस' गुणों पर काबू पाने की शक्ति मिलती है। भगवान शिव को समर्पित ध्यान में दिन बिताने से, भक्त ईर्ष्या, लालच और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। भगवान शिव के समर्पित अनुयायियों के लिए, शिवरात्रि व्रत का पालन करना शक्तिशाली अश्वमेध यज्ञ करने से कहीं अधिक शुभ माना जाता है।

ऐसा भी माना जाता है कि जो कोई भी महाशिवरात्रि व्रत को पूरे अनुशासन और ईमानदारी से करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। वे अंततः सर्वोच्च शक्ति के साथ एक हो जाते हैं और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर भगवान शिव के निवास में शाश्वत सुख पाते हैं।

मासिक शिवरात्रि 2024 अनुष्ठान

– दिन की शुरुआत स्नान से करें और सुबह जल्दी पूजा स्थल स्थापित करें।

– भगवान शिव या लिंगम का गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, सिंदूर, हल्दी, गुलाब जल और बेल के पत्तों से अभिषेक करें।

– भगवान की मूर्ति पर चंदन का लेप लगाएं, सिंदूर छिड़कें और फूल चढ़ाएं।

– शिव के सम्मान में शंख और घंटियाँ बजाते हुए आरती या भजन गाएँ।

– घर में बना प्रसाद पूजा स्थल पर चढ़ाएं।

– पूजा आदर्श रूप से मध्य रात्रि में की जाती है, जिसमें भक्तगण दिन भर उपवास रखते हैं और अगली सुबह उपवास तोड़ते हैं।

– सकारात्मक माहौल बनाने के लिए भजन और कीर्तन के साथ रात्रि जागरण का आयोजन करें।

– शिवरात्रि पूजा मंगलवार को विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।

– भगवान शिव के अलावा देवी लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती की पूजा करें, जिसमें प्रदोष काल पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।



Source link

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *